वो बैठा था उस कोने में,
और कर रहा था अपना काम,
रात की नींद बेचीं थी उसने,
और किया आराम हराम
करना चाहता था पढाई वो,
पर कमा रहा था धन ,
कर के झाड़ू पोचा उसने ,
जीत लिया था सबका मन
घर पे बैठी थी उसकी बूड़ी माँ,
जो लेते हुए राम का नाम,
सोच रही थी, उसका बेटा जब घर आएगा,
घर के खर्चे पानी के लिए कुछ धन इखाथा हो पायेगा
बचपन में भी उसको काम करना पड़ा ,
पढाई लिखाई से कोसों दूर था जैसे वो खड़ा,
दुनिया की सचाई ने कर दिया उसके बचपन को उससे दूर ,
वह था परिस्थिति के हाथों मजबूर ,एक नन्हा बाल मजदूर
आप भी ऐसे बच्चों को पढाएं ,
अपनी ज़िम्मेदारी निभाएं ,
साक्षरता का उजाला फैलाएं ,
दुनिया को एक सुनहरी रह दिखलायें

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