जो रुकाए रुकेगा , चलाये चलेगा
जीवन का पहिया, समय से है चलता
इच्छाओं को पनप्ता, अहम को कुचलता
जीवन का पहिया, समय से है चलता
इच्छाओं को पनप्ता, अहम को कुचलता
ऐ राही, तेरे इस पथ पर
मिलेंगे कई कंकर, और फूल भी मिलेंगे
मगर रुकना नहीं कहीं थम कर
भटकना , संभलना, गिर के भी तू उठना
पृथ्वी से तू धीरज धारण करले अभी
हार न मान लेना मुसीबतों से कहीं
अभी है तेरी राह में चुनोतियाँ कई
अभी है तुझे कई मंजिलों को शिकस्त करना
एक शिकन भी तेरे माथे पे आने पाए नहीं
की जाना है आगे बन निडर, साहसी
जीवन के इस पथ पर
रख कदम आगे बड़ चल
छोड़ दे आज अपने निशाँ
इस समय रुपी रेत पर


