Monday, 6 February 2012

Ruswai


दिल में रंजिशें है कई लेकिन
आप के प्यार ने हमें दीवाना बना रखा है 

ज़रे ज़रे से जिनकी बातें किया करते थे
आज उन्होंने हमें अफसाना बना रखा है 

लोग क्या कम थे, इस दौर की नई महफ़िल में 
कि आज उन्होंने भी हमें बेगाना बना रखा है 

मुह से क्या बताएं उनकी वफ़ा के किस्से 
बस दिल में आसुओं का पैमाना सजा रखा है 

उनकी यादों और बातों को भूल जायें कैसे 
हर एक लम्हें का खज़ाना संभाल रखा है 

गर समझ जायें वो दिल की बातों को बिन लफ्ज़ कहे 
कह देना उन्हें , दिल का आज भी नजराना बना रखा है 

Monday, 23 January 2012

Life - Jeevan



जीवन एक पथ है , और ना कोई रथ है 
जो रुकाए रुकेगा , चलाये चलेगा
जीवन का पहिया, समय से है चलता
इच्छाओं को पनप्ता, अहम को कुचलता

ऐ राही, तेरे इस पथ पर
मिलेंगे कई कंकर, और फूल भी मिलेंगे
मगर रुकना नहीं कहीं थम कर
भटकना , संभलना, गिर के भी तू उठना
पृथ्वी से तू धीरज धारण करले अभी  

हार न मान लेना मुसीबतों से कहीं 
अभी है तेरी राह में चुनोतियाँ कई 
अभी है तुझे कई मंजिलों को शिकस्त करना 
एक शिकन भी तेरे माथे पे आने पाए नहीं 
की जाना है आगे बन निडर, साहसी 

जीवन के इस पथ पर
रख कदम आगे बड़ चल 
छोड़ दे आज अपने निशाँ 
इस समय रुपी रेत पर 




Child Labour - Baal Mazdoor


वो बैठा था उस कोने में,
और कर रहा था अपना काम,
रात की नींद बेचीं थी उसने,
और किया आराम हराम

करना चाहता था पढाई वो,
पर कमा रहा था धन ,
कर के झाड़ू पोचा उसने ,
जीत लिया था सबका मन

घर पे बैठी थी उसकी बूड़ी माँ,
जो लेते हुए राम का नाम,
सोच रही थी, उसका बेटा जब घर आएगा,
घर के खर्चे पानी के लिए कुछ धन इखाथा हो पायेगा


बचपन में भी उसको काम करना पड़ा ,
पढाई लिखाई से कोसों दूर था जैसे वो खड़ा,
दुनिया की सचाई ने कर दिया उसके बचपन को उससे दूर ,
वह था परिस्थिति के हाथों मजबूर ,एक नन्हा बाल मजदूर


आप भी ऐसे बच्चों को पढाएं ,
अपनी ज़िम्मेदारी निभाएं ,
साक्षरता का उजाला फैलाएं ,
दुनिया को एक सुनहरी रह दिखलायें



Sunday, 22 January 2012

Time - Waqt


सुन आसमान और ज़मीन तुझसे रंजिश नहीं
बस दिल कुछ उदास है आज
इस में तनहाईयाँ है बसी
हर जगह हर तरफ महसूस होती है कुछ कमीं

खालीपन के इस दायरे में बंध से गए हैं हम
साँसों की बंदिशें भी अब ना भाने लगी
आँखों से अब न थम रहे हैं आसूं -ऐ -सितम
आशाओं की किरणों की आहटें अब दूर से सताने लगी

आइना भी कुछ अजीब तसवीरें दिखाने लगा
परछाई भी अब मुह मोड़ दूर जाने लगी
अपने तो अपने थे ही कहाँ
दुश्मनों ने भी दुश्मनी निभाई नहीं

वक़्त के इस पहलु को हम देख दंग रह गए
वक़्त के इस खेल को देख मुस्कुराने लगे